अक्षय नवमी
दैनिक प्रतियोगिता 02/11/2022 दिन बुधवार /अक्षय नवमी
शिवम अपनी विधवा मां के साथ नेपाल बॉर्डर के पास एक छोटे से गांव में रहता था। इस गांव के प्राचीन मंदिर के पुजारी शिवम के पिता थे, पर एक दिन एक जहरीले सांप के काटने की वजह से उनकी मृत्यु हो जाती है।
और उनकी मृत्यु के बाद इस प्राचीन मंदिर पर श्यामलाल नाम का एक धूर्त और भ्रष्ट पुजारी कब्जा कर लेता है। और शिवम की मां को प्राचीन मंदिर की साफ-सफाई देखभाल के काम के लिए रख लेता है।
शिवम का प्राचीन मंदिर के साथ ही अपना घर था। और उनका छोटा सा खेती की जमीन का टुकड़ा भी था।
शिवम के घर के आंगन में एक आंवले का पेड़ था। शिवम की आयु जब 8 वर्ष की थी, तो यह आंवले का पेड़ शिवम के पिता ने शिवम के हाथों से लगवाया था।
इस वजह से शिवम के पिता की इस पेड़ से यादें जुड़े हुई थी।
इसलिए शिवम इस आंवले के पेड़ की बहुत ज्यादा देखभाल करता था।
शिवम की मां कुछ दिनों के लिए अपने भाई भाभी से मिलने जाती है। इस बात का फायदा उठाकर धूर्त और भ्रष्ट पुजारी श्यामलाल शिवम के आधे मकान को प्राचीन मंदिर की जमीन बताकर उस पर कब्जा करने लगता है। और सबसे पहले कुछ लकड़हारे को बुलाकर उस आंवले के पेड़ को काटने की कोशिश करता है।
शिवम 14 वर्ष का कमजोर बच्चा था, फिर भी अपने हौसले और हिम्मत से उनका विरोध करता है। और उस समय तो अपने मकान और आंवले के पेड़ को बचा लेता है।
शिवम किसी तरह अपने मामा के घर अपनी मां के पास इस घटना की खबर पहुंचाता है। और जब तक मां नहीं आती उस आंवले के पेड़ की भूखे प्यासे चौकीदारी करता है।
दूसरे दिन जब शिवम की मां घर वापस आती है, तो पूरे गांव में एक खबर फैल चुकी थी, कि
श्यामलाल पुजारी नेपाल और हिंदुस्तान के प्राचीन मंदिरों से प्राचीन मूर्तियां चोरी करने वाले गिरोह के साथ मिला हुआ था।
इसलिए पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।
श्यामलाल की पोल खुलने के बाद गांव की पंचायत प्राचीन मंदिर की पूरी देखभाल की जिम्मेदारी शिवम और उसकी मां को सौंप देते हैं।
शिवम इस ईश्वर के चमत्कार को समझ नहीं पाता। और अपनी मां से कहता है "मां ईश्वर ने पता नहीं तुम्हारे किस शुद्ध कर्म का फल हमें दिया है।" तब उसकी मां कहती है, "यह सब तेरे शुद्ध कर्मों का फल है। शिवम कहता है "14 वर्ष की आयु में मैंने कौन से शुद्ध कर्म कर दिए।"
फिर शिवम की मां आंवला नवमी की एक कहानी सुनाती है। यह कहानी शिवम बड़े ध्यान से सुनता है।
शिवम की मां बताती है "आंवले का पेड़ विष्णु भगवान और लक्ष्मी मां को बहुत प्रिय है। और कल आंवला नवमी का त्यौहार था। इस त्यौहार में आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। आंवले के पेड़ के पांच या सात परिक्रमा करके कच्चा धागा बांधा जाता है। और उसी पेड़ के नीचे चूल्हे पर खाना बनाया जाता है। इस दिन ब्राह्मणों को दान दिया जाता है। खाना ना खिला पाया तो सीधा भी दे, सकते हैं। और एक सबसे बड़ा दान होता है। भातुआ पका हुआ और उसमें थोड़ा सा सोने की चीज का टुकड़ा भी डालना बहुत बड़ा दान होता है। पर उसेलाल कपड़े यापीले कपड़े में बांधकर दान करनी चाहिए। इस दिन तुलसी मां की भी पूजा होती है। इन दिनोंकार्तिक स्नान की भी परंपरा है। इसे अक्षय नवमी व्रत भी कहते हैं।"
फिर शिवम की मां कहती है "तुमने भूखे प्यासे रहकर आंवले के पेड़ की रक्षा की यह तुम्हारा अक्षय नवमी का व्रत माना गया। दिन में कई बार आंवले के पेड़ की परिक्रमा की होगी।उसके बाद आंवले के पेड़ के नीचे ही तुमने चूल्हे पर खाना पकाया और वही खाया आंवले के पेड़ के नीचे खाना पकाते देख तुम्हारे बच्चे मित्र भी यहां आए होंगे उन्हें तुमने कुछ खाने को दिया होगा। और कुछ पशु-पक्षी भी आएंगे उनको भी कुछ खाने को दिया होगा। इसलिए तुम्हें इस शुद्ध कर्म का अच्छा फल मिला है।
मां की सारी बात शिवम के समझ में आ जाती है। और वह भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का धन्यवाद करता है। फिर प्राचीन मंदिर में पूजा करके प्रार्थना करता है। और दूसरे दिन सुबह अपनी आत्मा और मन से मंदिर की पूरे जीवन सेवा करने देखभाल करने की शपथ लेता है। मा
Khan
05-Nov-2022 06:02 AM
Behtreen likha hai aapne
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Mahendra Bhatt
04-Nov-2022 11:02 AM
बहुत खूब
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Pratikhya Priyadarshini
03-Nov-2022 09:50 PM
Very nice 👍🌺💐
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